बादडइयो गगरिया भरदे, बादडइयो गगरिया भरदे,
बादडइयो गगरिया भरदे, बादडइयो गगरिया भरदे
अम्बर से अमृत बरसे ,तू बैठ महल मैं तरसे,
अम्बर से अमृत बरसे ,तू बैठ महल मैं तरसे,
प्यासा ही मर जायगा, बाहर तो आजा घर से,
इस बार समुन्दर अपना बूदो के हवाले कर दे,
प्यासे तन मन जीवन को इस बार तू तर कर दे,
बादडइयो गगरिया भरदे, बादडइयो गगरिया भरदे,