है नमन उनको कि जो यश- काये को अमरत्व दे कर,
इस जगत मैं शोर्य कि जीवित कहानी हो गये है,
है नमन उनको कि- जिनके सामने बोना हिमालय,
जो धरा पैर गिर पड़े , पर आसमानी हो गये हैं,
है नमन उनको कि जो यश- काये को अमरत्व दे कर
पिता, जिसके रक्त उज्वल किया जिसने कुल वंस माथा
माँ वही जो ढूध से इस देश कि राज तोल आये,
बहन जिसने सवानो मैं, भर लिया पतझर स्वं ही,
हाथ न उलझे कलाई से, जो राखी खोल लाई,
बेटिया जो लोरियों मैं भी प्रभाती सुन रही थी,
पिता तुम पर गर्व हैं, चुप चाप जाकर बोल आये,
प्रिये जिसकी चूडियो मैं सितारे से टूटते थे,
माँग का सिन्दूर देकर जो उजाले मोल लायी,
हैं नमन उस धरा को जहाँ तुम खेले कनाहिया ,
घर तुम्हारे परम ताप कि राजधानी हो गये है,
है नमन उनको कि- जिनके सामने बोना हिमालय,
हम लोटाये सिकंदर सर झुकाए मात खाए,
हमसे भिड़ते हैं वे जिनका मन धरा से भर गया है,
नरक से तुम पूछना अपनों बुजर्गो से कभी भी ,
उनके माथे पर हमारी ठोकरों का ही बया है,
सिंह के दातो से गिनती सीखने वालो के आगे,
सीस देने कि कला मे, क्या अजब है क्या नया है,
जूझना यमराज से आदत पुरानी पुरानी है हमारी,
उत्तरों कि खोज मैं एक्नाच्केता गया हैं,
हैं नमन उनको कि जिनकी अग्नि से हारा प्रभाज्हन........
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