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Wednesday, June 8, 2011

dr. kumar vishwas unforgettable poetry. (192.13 MB)



कोई दीवाना कहता है,
कोई पागल समझता है,
मगर धरती की बचेनी को बस बादल समझता है,
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ तू मुझसे दूर कैसी  है,
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है1 
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