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Thursday, June 9, 2011

एक पगली लड़की (Pagali Larki ) by Dr.Kumar Vishwas

अमावास की कलि रातो मैं दिल क दरवाजा खुलता है,
जब दर्द की प्याली रातो मे दर्द आसूऔ  के संग घुलता है ,
जब पिछवाड़े के कमरे मैं हम निपट अकेले होते है,
जब घड़िया टिक टिक करती है सब सोते है हम रोते है,
जब बार बार धोराने से सारी यादे चुब जाती है 
जब ऊच नीच समझने मे माथे की नस दुःख जाती है 
तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है 
और उस पगली लड़ी के बिन मरना भी भारी लगता है 
********* 
जब कमर सन्नाटे  की आवाज सुनाई देती है 
जब दर्पण मैं  आँखों के नीचे झाई दखाई देती है
जब बडकी भाबी कहती है, कुछ सहेत का भी धियान करो,
क्या लिखते हो दिनभर कुछ सपनो का सम्मान करो,
जब बाबा वाली बैठक मैं कुछ रिश्ते वाले आते है,
जब बाबा हमे बुलाते है हम जाते है सरमाते है,
जब साड़ी पहने एक लड़की का फोटो लाया जाता है,
जब भाभी हमे मानती है, फोटो दिखलाया जाता है,
जब सारे घर का समझाना हमको फनकारी लगता है,
तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है 
और उस पगली लड़ी के बिन मरना भी भारी लगता है
*********
दीदी कहती है उस पगली लड़की की कुछ औखात नहीं,
उसके दिल मैं भैया तेरे जैसा प्या नहीं,
वो पगली लड़की नो दिन मेरे लिए भूखी रहती है,
चुप चुप सारे व्रत करती है, पर मुझसे न कहती है,
जब पगली लड़की कहती है मैं प्यार तुम्ही से करती हूँ ,
लेकिन मैं हूँ मजबूर बहुत अम्मा बाबा से डरती हूँ,
उस पगली लड़की पे कुछ अपना अधिकार नहीं बाबा ,
यह कथा कहानी किस्से है, कुछ भी तो सार नहीं बाबा,
तब एक पगली लड़की के बिन जीना फनकारी  लगता है 
और उस पगली लड़ी के बिन मरना भी भारी लगता है


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