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Tuesday, May 31, 2011

अपनी जुबा से कड़वा कोई तीर छोड़ना मत (apni juba se) by dr. vishnu saxena


अपनी जुबा से कड़वा कोई तीर छोड़ना मत ,
फूलो के रास्तो को काँटों पे मोड़ना मत ,
छोटी सी उम्र मैं ही मेरा तजुर्बा बड़ा है ,
छोटी सी उम्र मैं ही संतो से सुना है,
जग रूठ जाये  लेकिन,
जग रूठ जाये लेकिन किसी दिल को तोडना मत!!!!

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